असबाबे हिन्दुस्तान
प्रयागराज, मुख्य संवाददाता दबीर अब्बास। माहे मोहर्रम की चौथी तारीख को करबला मे इमाम हुसैन के वफादार घोड़े ज़ुलजनाह ने जिस तरहा एक एक कर बहत्तर शहीदों को यज़ीद से जंग लड़ने मे किरदार निभाया उस घोड़े की शबीह गुलाब व चमेली के फूलों से सजा कर लोगों की ज़ियारत को निकाली गई।पानदरीबा स्थित इमामबाड़ा सफदर अली बेग मे अशरे की चौथी मजलिस को मौलाना सैय्यद रज़ी हैदर साहब क़िबला ने खिताब करते हुए इमाम हुसैन पर ढ़ाए गए मज़ालिम का ग़मगीन तज़केरा किया।मजलिस से पहले बाबर भाई ,मिर्ज़ा जहाँगीर व फैज़ जाफरी ने मर्सिया पढ़ा।मजलिस के बाद इमामबाड़ा सफदर अली बेग के अन्दूरीनी हिस्से में दुलदुल घोड़े (ज़ुलजनाह) की शबीह निकाली गई जिसपर अक़ीदतमन्दों ने फूल माला व सूती चादर चढ़ा कर मन्नत व मुरादें मांगी।अन्जुमन अब्बासिया ने नौहा और मातम का नज़राना पेश किया।मजलिस में वक़ार रिज़वी ,शकील नवाब ,सुहेल ,शमशाद ,जहाँगीर ,मुन्ना ,सलीम ,माहे आलम ,मुर्तुज़ा ,मुजतबा ,सादिक़ ,सैय्यद मोहम्मद अस्करी ,फैज़याब हैदर ,आसिफ रिज़वी आदि शामिल थे।
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