असबाबे हिन्दुस्तान
प्रयागराज , मुख्य संवाददाता दबीर अब्बास। कहते हैं अगर आस्था हो तो इन्सान किसी भी धर्म का हो इन्सानियत की झलक कहीं न कहीं दिख ही जाती है।चौक लोकनाथ जो हिन्दू धर्म के मानने वालों का केन्द्रबिन्दु है लेकिन उसी के बीच गुड़मण्डी के रहने वाले अरविंद गुप्ता के दिलों मे जहाँ देवी देवताओं मे अटूट आस्था है तो वहीं करबला के मैदान मे तीन दिन के भूखे प्यासे और इन्सानियत की खातिर अपने पुरे घर को राहे हक़ मे क़ुरबान करने वाले नवासा ए रसूल हज़रत इमाम हुसैन की भी दिल में जगहा बराबर से है।यही वजहा है की उनकी चार पीढ़ी से अज़ादारी का सिलसिला लगातार जारी है और शिया समुदाय का बुज़ुर्ग ,नौजवान हो या छोटा बच्चा चाँद के नमुदार होते ही सिलसिलेवार मजलिस के बाद गुड़मंडी के गुप्ता परिवार के इमामबाड़े मे ज़रुर जाता है।
बाक़ायदा गुप्ता परिवार की यह चौथी पीढ़ी चाँदरात से इमामबाड़े की साफ सफाई रंग रौग़न के साथ इमामबाड़े मे पाक साफ होकर अलम सजा कर फरशे अज़ा बिछा कर मोमनीन का इन्तेज़ार करती रहती है।इस मजलिस के लिए खास तौर से कलकत्ता मे रहने वाले अरशद मज़दूर पूर्व स्वतंत्रता सेनानी मुबारक मज़दूर के पौत्र मजलिस पढ़ने चाँद रात को ही प्रयागराज आ जाते हैं।अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया के प्रवक्ता सैय्यद मोहम्मद अस्करी के अनुसार गुप्ता परिवार का हर एक सदस्य अपने कारोबार को छोड़ कर मजलिस के समय इमामबाड़े के बाहर इन्तेज़ार मे खड़ा रहता है और सभी को मजलिस के बाद अपने हाँथों से (प्रसाद) तबर्रुक देता है।7वीं मोहर्रम को पानदरीबा इमामबाड़ा सफदर अली बेग से उठने वाला दुलदुल भी आधे शहर में जहाँ गश्त करते हुए लेजाया जाता है वहीं गुप्ता परिवार के इमामबाड़े मे भी दुलदुल ले जाया ताता है।घर की महिलाएँ और पुरुष पाक साफ होकर दुलदुल के इस्तेक़बाल को गली के मुहाने पर आकर देर रात तक इन्तेज़ार मे खड़े रहते हैं।
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