सोमवार, 1 अगस्त 2022

सुबहा से देर रात तक चलता रहा तीन दिन के भूखे प्यासे शहीदाने करबला का ज़िक्र

असबाबे हिन्दुस्तान

प्रयागराज, दबीर अब्बास। माहे मोहर्रम का चाँद नमुदार होने के बाद पहली मोहर्रम पर सुबहा से शुरु हुआ मातम मजलिस और ज़िक्रे शोहदाए करबला का विभिन्न इमामबाड़ो व अज़ाखानो मे देर रात तक जारी रहा।बख्शी बाज़ार स्थित मस्जिद क़ाज़ी साहब मे सब से पहले सुबहा 7 बजे मजलिस व अय्यामे अज़ा पर  मोमनीन जुटे तो वहीं इमामबाड़ा नाज़िर हुसैन मे मौलाना आमिरुर रिज़वी ने ग़मज़दा माहौल मे करबला के शहीदों का ज़िक्र किया।हाता खुर्शैद हुसैन मरहूम ,स्व अबरार हुसैन व ज़व्वार हुसैन के अज़ाखाने मे हुई अशरे की मजलिस को कोलकता से आए ज़ाकिरे अहलेबैत अरशद मज़दूर ने खेताब किया।रौशनबाग़ मे डॉ अली मुख्तार के अज़ाखाने पर ज़ीशान नक़वी ने खिताब किया।

अहमदगंज ताहिरा हाउस मे भी अशरे की मजलिस हुई।चक ज़ीरो रोड इमामबाड़ा डीप्यूटी ज़ाहिद हुसैन मे मौलाना रज़ी हैदर साहब क़िबला ने भारी संख्या मे मौजूद हुसैन ए मज़लूम के शैदाइयों को ग़मगीन मसाएब सुना कर रोने पर मजबूर कर दिया।छोटी चक ,जामा मस्जिद चक ,पान दरीबा इमामबाड़ा मे भी पहली मोहर्रम पर मजलिस हुई।घंटाघर स्थित इमामबाड़ा सय्यद मियाँ मे अशरे की पहली मजलिस मे रज़ा इसमाईल सफवी व हमनवाँ साथियों ने ग़मगीन मर्सिया पढ़ा तो ज़ाकिरे अहलेबैत रज़ा अब्बास ज़ैदी ने मजलिस को खिताब करते हुए करबला के मैदान मे छोटे हुसैनी लश्कर पर ढ़ाए गए ज़ुल्मो सितम की दास्ताँ सुनाई तो हर आँख अश्कबार हो गई।इसी तरहा करैली ,रानीमण्डी ,दरियाबाद ,शाहगंज ,करैली सहित अन्य मुस्लिम बहुल्य इलाक़ो मे औरतों व मर्दों की मजलिस व मातम के साथ नौहों की गूंज से माहौल ग़मज़दा रहा।

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