असबाबे हिन्दुस्तान
नई दिल्ली, निजी समाचार । : नियमित रूप से खतरनाक हवा में सांस लेने के स्वास्थ्य दुष्प्रभावों का सामना खुले में काम करने वाले लोग ज्यादा करते हैं. इसकी पुष्टि करते हुए, एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि व्यापक वायु प्रदूषण और ख़राब मौसम के कारण कार्यस्थल संबंधी जोखिम देश की राष्ट्रीय राजधानी में खुले में काम करने वाले कामगारों के स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों को बढ़ा देते हैं. दिल्ली में काम करने वाले तीन पेशे से जुड़े कामगारों - ऑटोरिक्शा चालकों, सफाईकर्मियों और रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं के सांस लेने में कठिनाई या फेफड़ों की अत्यधिक खराबी, दिल की अनियमित धड़कन और सीने में परेशानी, पीठ, कंधे और जोड़ों में दर्द, आंखों का लालपन एवं जलन, और त्वचा पर चकत्ते, सिरदर्द और समग्र रूप से उनके परेशानियों का आकलन किया गया. ये कामगार बहुत ज्यादा गर्मी और सर्दियों के दौरान खराब वायु गुणवत्ता और बहुत सख्त मौसम के दुष्प्रभावों का सामना करते हैं. इस अध्ययन रिपोर्ट का शीर्षक है। "दिल्ली में खुले में काम करने वाले कामगारों के स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण और ख़राब मौसम के दुष्प्रभाव का मूल्यांकन: एक समेकित महामारी विज्ञान दृष्टिकोण." यह अध्ययन कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थानों के डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों द्वारा किया गया. इसमें चिकित्सा विशेषज्ञों के परामर्श पर विस्तृत प्रश्नावली का इस्तेमाल किया गया ताकि खुले में काम करने वाले कामगारों के स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण और ख़राब मौसम के दुष्प्रभावों संबंधी चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुभवों को समझा जा सके. साथ ही इससे संबंधित संदेह को दूर करने के लिए पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (श्वसन प्रणाली जांच) किए गए. इस रिपोर्ट के मुख्य लेखक और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, तिरुपति, आंध्र प्रदेश के प्रोफेसर सुरेश जैन ने कहा, “वर्षों से, दिल्ली में वायु प्रदूषण गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। शहर की भौगोलिक स्थिति इसे गर्मी और सर्दियों, दोनों मौसमों में धुंध (स्मॉग) के साथ-साथ ख़राब मौसम जैसे वायु प्रदूषण संबंधी घटनाओं के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील बना देती है।
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