चौथे स्तंभ के उत्पीड़न में लगे हैं तीनों स्तंभ ( डॉ० भगवान प्रसाद उपाध्याय )
असबाबे हिन्दुस्तान
प्रयागराज, निजी समाचार । यह कैसी खबर नवीसी है जहां खबर नवीसों के प्रति सरकार पूरी तरह बेखबर हो गई है । लगता है कि लोकतंत्र के चतुर्थ स्तंभ कहे जाने वाले खबरनवीसों का सर्वाधिक उत्पीड़न शेष तीनों स्तंभ मिलकर कर रहे हैं आखिर न्यायपालिका क्यों मौन होकर बैठ गई है कार्यपालिका और विधायिका ने लोकतंत्र के चतुर्थ स्तंभ को प्रताड़ित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है ऐसा क्या है जो खबर नवीसों की दुर्गति के लिए जिम्मेदार लोगों को सरकार पूछ तक नहीं रही है लोकतंत्र के प्रहरी के रूप में काम करने वाले मीडिया कर्मियों की इतनी दुर्दशा शायद पहले कभी नहीं देखी गई जितनी वर्तमान समय में हो रही है कहीं मीडिया कर्मियों को अनावश्यक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है कहीं उन्हें निर्वस्त्र करके तो कहीं उनके धर्म निर्वहन में बाधक बन कर के तो कहीं किसी न किसी रूप से माफियाओं द्वारा प्रताड़ित करके आखिर यह सब क्यों हो रहा है और सरकार इस पर कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं व्यक्त कर रही है ।
बलिया में गिरफ्तार किए गए तीन पत्रकारों की रिहाई के लिए पूरा प्रदेश आंदोलित है और राजनीतिक रूप से परिपक्व एक सक्षम और समर्थ शासक सत्तासीन है फिर वह एक स्तंभ की इतनी अनदेखी क्यों कर रहा है यह बात समझ से परे है जौनपुर में आजमगढ़ में प्रयागराज में कौशांबी में प्रतापगढ़ में तथा अयोध्या आदि जनपदों में पत्रकारों के साथ इधर जो घटनाएं घटी हैं वह यह संकेत करती हैं कि अब पत्रकारिता धर्म के निर्वाह के लिए हम सब को भी सचेत और सतर्क रहना होगा। लोकतंत्र के चार स्तंभ कहे गए हैं जिसमें कार्यपालिका और विधायिका द्वारा ही सर्वाधिक रूप से खबर पालिका को प्रताड़ित करने की खबरें आम हो रही हैं न्यायपालिका पूरी तरह मौन होकर मूकदर्शक बनी हुई है यह सब भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है लेकिन फिर भी हो रहा है ।
विधायिका को यह बात भली-भांति विदित है कि उसे सत्तासीन करने में खबर पालिका की महत्वपूर्ण भूमिका है और वह जब सच्चाई का आईना दिखाती है तो उसे प्रताड़ित किया जाता है। इतनी बेखबर सरकार भला कैसे हो सकती है कि वह अपने ही एक अंग को पूरी तरह उपेक्षित करे जबकि अभिव्यक्ति की आज़ादी की वकालत स्वयं लोकतंत्र के अन्य स्तंभ समय-समय पर करते रहे हैं आज स्थिति यह हो गई है कि पत्रकार संगठनों के लोग अधिकारियों के पास मांग पत्र देने जाते हैं तो उन्हें घंटों प्रतीक्षा करनी पड़ती है इसके बावजूद भी अधिकारी अपने अधीनस्थ को भेजकर खाना पूरी कर लेते हैं आज सही खबरें खोज कर लाने और जनमानस के सामने रखने की सजा पत्रकार को जेल के रूप में मिलती है वह भी बिना किसी ठोस सबूत के और बिना किसी जांच पड़ताल के यह सब उत्पीड़न का दौर जो चल रहा है वह कहीं से भी उपयुक्त नहीं है फिर भी तीनों स्तंभ मिलकर अपने ही एक स्तंभ को कमजोर करने में लगे हुए हैं वह तीनों यह जानते हैं की चतुर्थ स्तंभ है हम तीनों का स्वच्छ और निष्पक्ष मार्गदर्शक है हम उसका सदुपयोग सही ढंग से नहीं कर पा रहे हैं यहां एक बात और कह देना अत्यंत समीचीन होगा कि खबर पालिका में भी इस समय बहुत गिरावट आई है।
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