संविधान में समाजवाद और सेकुलर शब्द जोड़े जाने की 44 वीं वर्षगांठ पर अल्पसंख्यक कांग्रेस ने मदरसों में किया कार्यक्रम*
असबाबे हिन्दुस्तान
प्रयागराज अटाला, दबीर अब्बास। 3 जनवरी 2022। पूर्व प्रधानमन्त्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी ने संविधान के प्रस्तावना में 42 वां संशोधन करके समाजवाद और सेकुलर शब्द जोड़ा था जो 3 जनवरी 1977 से अमल में आया। आज वंचित तबक़ों और अल्पसंख्यक वर्गों को जो भी अधिकार हासिल हैं वो इंदिरा गांधी जी के इस क़दम की ही देन हैं। आज भाजपा संविधान से इन्हीं शब्दों को हटाने की कोशिश कर रही है। लेकिन कांग्रेस इस साज़िश को कभी सफल नहीं होने देगी।
ये बातें आज अल्पसंख्यक कांग्रेस नगर अध्यक्ष ने प्रेस कांफ्रेंस कर कही। इस मौके पर प्रदेश सचिव इलाहाबाद प्रभारी मुनताज सिद्दिकी इंदिरा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि पूंजीपतियों, सामंती और सांप्रदायिक शक्तियों की मंशा को भांप कर ही देश की एकता और आखंडता को बचाने के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान की प्रस्तावना में यह शब्द जोड़े थे। जिसे संसद भी बदल नहीं सकती। यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी केशवानंद भारती केस और एस आर बोम्मई केस में स्पष्ट कर दिया है कि संविधान की प्रस्तावना में भारतीय लोकतंत्र के मूल तत्व निहित हैं जिसे किसी भी स्थिति में बदला नहीं जा सकता। आज पूरा देश इंदिरा गांधी जी के इस योगदान का ऋणी है। दोपहर में अटाला स्थित मदरसे में आयोजित कार्यक्रम पूर्व प्रदेश महासचिव एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता फुजैल हाशमी जी ने मोहल्ले के सम्मानित बुजुर्गों को शाल पहनाकर सम्मानित करते हुए युवाओं को आज के दिन और संविधान में सेकुलर और समाजवाद शब्द शामिल किये जाने के महत्व पर लोगों को जानकारी दे कर उन्हें जागरूक किया गया। संविधान की प्रस्तावना का सस्वर पाठ कर मौजूद युवाओं ने संविधान के मूल्यों को हर क़ीमत पर बचाने का संकल्प लिया। इस मौके पर अल्पसंख्यक कांग्रेस के नगर अध्यक्ष अरशद अली प्रदेश सचिव मुनताज सिद्दीक, पूर्व प्रदेश महासचिव फुजैल हाशमी, नगर उपाध्यक्ष कमाल अली, नूरुल कुरैशी, हाजी सरताज, तालिब अहमद, नाज खान,महासचिव महफूज अहमद, अरमान कुरेशी, जाहिद नेता, गुलाम वारिस, मो दानिश (गुशान नेता) मो शकुर, मो तालिब, नेहाल उद्दीन, चौधरी अब्दुल समद, मुख्तार अहमद, वशी उल्ला आदि मौजूद थे।
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