सोमवार, 20 दिसंबर 2021

सन्त गाडगे का जीवन सदैव समाज सुधार के लिये समर्पित था

असबाबे हिन्दुस्तान

प्रयागराज ,निजी समाचार।सन्त गाडगे महाराज का जन्म 23 फरवरी 1876 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले के शेणगांव अंजन गांव में हुआ था। उनका बचपन का नाम डेबूजी झिंगराजी जानोरकर था जो महाराष्ट्र के कोने-कोने में अनेक धर्मशालाएं, गौशालाएं, विद्यालय, चिकित्सालय तथा छात्रावासों का निर्माण कराया।

यह सब उन्होंने सर्वसमाज से सहयोग लेकर बनावाया किंतु अपने सारे जीवन में इस महापुरुष ने अपने लिए एक कुटिया तक नहीं बनवाई। उन्होंने धर्मशालाओं के बरामदे या आसपास के किसी वृक्ष के नीचे ही अपनी सारी जिंदगी बिता दी उक्त बातें प्रबुद्ध फाउंडेशन और डा. अम्बेडकर वेलफेयर एसोसिएशन (दावा) के संयुक्त तत्वावधान में ग्लास फैक्ट्री पंतरवा स्थित डा. भीमराव अम्बेडकर बुद्ध विहार में सन्त गाडगे महाराज के 65वे महापरिनिर्वाण दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये सीएमपी डिग्री कालेज हिन्दी विभाग के एसोसिएट प्रो.डा. दीनानाथ ने कही। डा. दीनानाथ ने आगे बताया है कि एक लकड़ी, फटी-पुरानी चादर और मिट्टी का एक बर्तन जो खाने-पीने और कीर्तन के समय ढपली का काम करता था यही उनकी संपत्ति थी। इसी से उन्हें महाराष्ट्र के भिन्न-भिन्न भागों में कहीं मिट्टी के बर्तन वाले गाडगे बाबा व कहीं चीथड़े-गोदड़े वाले बाबा के नाम से पुकारा जाता था। उनका वास्तविक नाम आज तक किसी को ज्ञात नहीं है।  श्रंद्धाजलि देने वालो में राजू राव,अभय कुमार, अभिषेक कुमार,मोहम्मद हुसैन, इशांत, श्रेष्ठ, रिया, आंचल, करीना, पायल, प्रज्ञा रश्मि गौतम आदि उपस्थित रहे।

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