गुरुवार, 23 दिसंबर 2021

रंगमंच के सहारे कबीर रैदास की विचारधारा को जनमानस में पुनः पहुंचाने की कोशिश

असबाबे हिन्दुस्तान

 प्रयागराज, निजी समाचार।  कबीर रैदास के विचार उनकी वाणी दोहे के रूप में स्कूल से कालेज स्तर पर हिन्दी साहित्य मे यदा कदा थोड़ी बहुत जानकारी परिमार्जित रूप में मिल जाती है लेकिन सन्त कबीर रैदास का पाखंडवाद और कर्मकाण्ड के खिलाफ चुभते गीत पाखण्डवाद पर चोट पहुँचाती है। भारत का 90% जनमानस कबीर रैदास की वाणी से अभी भी कोसो दूर है क्योकि पाखंडवाद और कर्मकाण्ड के विरुद्ध उनके गीत के बोल याद करके सुबह-सुबह पूजा आरती की तरह घर मे गाया जाय और फिर परिणाम सोचिए? आखिर उनकी सच्ची वाणी को क्यो और किसने छिपाया यह प्रश्न खड़ा होता है उक्त बातें ग्लास फैक्ट्री पंतरवा स्थित डा. भीमराव अम्बेडकर बुद्ध विहार में प्रबुद्ध फाउंडेसन और देवपती मेमोरियल ट्रस्ट के तत्वावधान में एक तीस दिवसीय शीतकालीन नाट्य कार्यशाला के संयोजक/प्रशिक्षक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रंगकर्मी रामबृज गौतम ने कही। गौतम ने आगे बताया कि बहुजन थियेटर अन्य थियेटर से विल्कुल अलग है।


एक ओर जहां बहुजन थियेटर बहुजन साहित्य कला संस्कृति व रंगमंच के द्वारा व्यवस्था परिवर्तन हेतु बराबरी के लिये आन्दोलन की बात करता है, समता स्वतंत्रता बन्धुत्व के साथ समतामूलक समाज निर्माण की बात करता है तो इससे इतर गैर बहुजन थियेटर रूढिबादी परम्पराओं को जिन्दा रखने के लिये अंधविश्वास पाखण्ड कर्मकाण्ड से युक्त पौराणिक व मिथकों पर केन्द्रित नाटकों की प्रस्तुतियां करता है। सही मायने में भारतीय संविधान अपनी बुद्धि और विवेक का प्रयोग करते हुये वैज्ञानिक दृष्टि से सोचते हुये उसे स्थापित करने की बात करता है परन्तु भारत मे स्थापित लोकतंत्र के सात दशक बाद भी लोकतंत्र के स्थान पर तंत्र का ही बोलबाला है। गौतम ने आगे बताया कि साहित्य समाज का दर्पण होता है आज बड़े पैमाने पर बहुजन साहित्यकारों द्वारा साहित्य लिखे जा रहे है। घूरे के दिन भी बदलते है। जब कचरा कूड़ा सोना जैसा कीमती बन सकता है तब इन्सान तो फिर इन्सान है, उसके पास बुद्धि है, मेहनत है, लगन है, संवैधानिक अवसर मिलने पर वह सब कुछ कर सकता है और सब कुछ पा सकता है और आज व्यवहारिक रूप से बदलाव दिखाई दे रहा है। बहुजन रंगमंच के माध्यम से सन्त कबीर रैदास की वाणी विचारधारा को आज जनमानस तक पुनः पहुंचाने की जरूरत है जिस हेतु अनवरत कार्य करता रहूँग और दूसरे को भी इस हेतु प्रेरित करूंगा।     कार्यशाला के बच्चों में राजू राव, लोकनाथ, साहिल सिंह, हर्ष दीप, इशांत, श्रेष्ठ, हुसैन, अभय, अभिषेक, अजीत, आँचल, रिया, प्रज्ञा रश्मि गौतम, सुषमा, पायल, करीना, शालू आदि उपस्थित रहे।

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