असबाबे हिन्दुस्तान
प्रयागराज, निजी समाचार। विचार परिवर्तन ही व्यवस्था परिवर्तन का मूल मंत्र है। विचार परिवर्तन से आचरण में परिवर्तन होता है, आचरण में परिवर्तन से सामाजिक परिवर्तन होता है, सामाजिक परिवर्तन से राजनीतिक व धार्मिक परिवर्तन होता है। राजनीतिक परिवर्तन से आर्थिक परिवर्तन होता है और उपरोक्त सारे परिवर्तनों से व्यवस्था परिवर्तन होता है। विचार में परिवर्तन हुए बिना आचरण में परिवर्तन संभव नहीं है उक्त बातें उच्च न्यायालय के अधिवक्ता बहुजन समाज पार्टी के पूर्व मण्डल सेक्टर प्रभारी रामबृज गौतम ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया। गौतम ने आगे बताया कि यदि विचार में परिवर्तन नहीं होता है तो बहुजन समाज का कोई भी व्यक्ति यदि पोजीशन ऑफ पावर पर पहुंचता है तो भी वह मनुवादी एजेंडा को ही जाने-अनजाने में आगे बढ़ाने में लगा रहता है। अगर विचार में परिवर्तन हुए बिना किसी तरह से सत्ता परिवर्तन हो भी जाता है तो भी उस सत्ता का प्रयोग व्यवस्था परिवर्तन करने के लिए नहीं कर पाएंगे क्योंकि अपने लोग आपनी विचारधारा के नहीं होंगे और अपने लोग ही व्यवस्था परिवर्तन का विरोध कर देंगे।

इसलिए बहुजन समाज के लोगों में महापुरुषों में तथागत बुद्ध, सम्राट अशोक, राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले, डा. बाबा साहब अम्बेडकर, नारायण गुरु, संत कबीर, संत रविदास, गुरु घासीदास, बिरसा मुंडा, छत्रपति साहू जी महाराज, बहुजन नायक कांशीराम, रामस्वरूप वर्मा, ललई सिंह यादव इत्यादि महापुरुषों की विचारधारा को स्थापित करना होगा। बहुजन समाज पार्टी बनाने से पूर्व मान्यवर कांशीराम बामसेफ के द्वारा यह कार्य अपने स्थापना काल से कर रहे थे जिससे देश में बहुत से लोगों को तैयार किया जो आज समाज जीवन में घटने वाली घटनाओं की व्याख्या पर विचार रखते हैं जिससे भारत में कुछ परिवर्तन हुआ है। लोग पूछते हैं कि बामसेफ ने क्या किया है तो गौतम का कहना है कि "ऐसा मानव संसाधन तैयार करना जो फुले-अंबेडकरी विचारधारा के अनुरूप सोच सके जो कि अपने आप में रिवॉल्यूशन है और बामसेफ यही कार्य अपने स्थापना काल से सफलतापूर्वक करता रहा चला आ रहा है। बामसेफ देश में बहुत से लोगों को तैयार किया है जो आज समाज जीवन में घटने वाली दिन प्रतिदिन की घटनाओं की व्याख्या फुले अंबेडकर विचारधारा से कर रहे हैं लेकिन जितने लोगों को बामसेफ ने तैयार किया है उसी परिणाम में परिवर्तन भी हुआ है ऐसे लोगों की संख्या अभी बहुत प्रभावशाली नहीं है इसलिए परिवर्तन भी प्रभावशाली नहीं हुआ है। अगर हम 20% लोगों को परिवर्तित करने में सफल हुए तो हम व्यवस्था परिवर्तन में जल्द कामयाब हो जाएंगे। बहुजन समाज के मानव संसाधन को अपने महापुरुषों की विचारधारा में प्रशिक्षित करने एवं प्रशिक्षित मानव संसाधन को तैयार करने में लगा हुआ है। व्यक्ति का विचार परिवर्तन आसान नहीं है अपितु यह अत्यंत कठिन कार्य है। वह भी तब और कठिन है जबकि प्रतिगामी शक्तियां इसके विरोध करने अर्थात इसको काउंटर करने में अपने भारी वित्तीय मानव संसाधन लगा रही हैैं।
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