असबाबे हिन्दुस्तान
प्रयागराज निजी समाचार।ज्ञान के प्रतीक राष्ट्रनायक भारतीय गणतंत्र के महानायक आधुनिक भारत के निर्माता नारी मुक्तिदाता संविधान निर्माता भारतरत्न बोधिसत्व डा. बाबासाहेब भीमराव रामजी आम्बेडकर के 66वें महापरिनिर्वाण पर समाज में निरन्तर घट रही नैतिकता, आचरण, सभ्यता एवं स्वास्थ्य आदि मुद्दो के साथ साथ बहुजन साहित्य कला और संस्कृति के विकास संरक्षण सम्बर्धन और उसको पुनर्स्थापित करने के लिये प्रतिबद्ध प्रबुद्ध फाउंडेशन, देवपती मेमोरियल ट्रस्ट, भारतीय बौद्ध महासभा के साथ साथ नगर के दर्जनों बुद्धिजीवी, समाजसेवी चिंतकों आदि ने एक ओर जहां हाईकोर्ट स्थित डा. अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर भारत को बौद्धमय बनाने का संकल्प लिया तो वहीं दूसरी ओर ग्लास फैक्ट्री पंतरवा स्थित डा. भीमराव अम्बेडकर बुद्ध बिहार में एक दिसम्बर से चलाई जा रही एक तीस दिवसीय प्रस्तुतिपरक बहुजन नाट्य कार्यशाला के रंग प्रेमियों ने भी भारत को बौद्धमय बनाने के संकल्प के साथ बाबासाहेब को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित किये। उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता शुकदेव राम ने बताया कि समाज में आज नैतिकता एवं आचरण का निरंतर पतन होता जा रहा है, हर कोई एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोपो लगकर अपने निजी स्वार्थ के चक्कर में समाज से दूर होते जा रहे है। एडवोकेट कुमार सिद्धार्थ ने बताया कि आधुनिकीकरण के दौर में हम अपने संस्कारों एक मर्यादाओं को भूलते जा रहे है। सौरभ गौतम ने कहा की तथागत गौतम का धम्म ही एक मात्र विकल्प है जिसे घर घर और गांव गांव पहुंचाने की आवश्यकता है। शशि सिद्धार्थ ने कहा कि लोग अपनी जिम्मेदारी व जवाबदेही को भूलते जा रहे है बाबासाहेब डा. अम्बेडकर के सपनो एवं संघर्षों को दर किनार कर अपने वर्चस्व को ज्यादा महत्व देने में लगे हुए है। त्रिलोकी नाथ ने कहा की लोगो में एक दूसरे के जुड़ाव का कोई मायने अब नहीं दिखता। आपसी प्रेम भाईचारा की जगह नफरत और साजिशो का जाल बिछता जा रहा है।
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