असबाबे हिन्दुस्तान
बारा प्रयागराज ,: निजी समाचार। संविधान दिवस (26 नवम्बर 1949) की 72वीं वर्षगाँठ के पावन अवसर पर कार्यालय उप जिलाधिकारी बारा के समक्ष विधानसभा बारा क्षेत्र के सैकड़ो गांवो के हजारों की संख्या में भूमिहीन दलितों, आदिवासियों ने बसपा मिशन- 2022, जय भीम-पांच एकड़ और हर बूथ दस यूथ जोड़ो अभियान के तहत संविधान बचाओ चेतना रैली आयोजित की गयी। रैली के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री को सम्बोधित पाँच सूत्रीय ज्ञापन उप जिलाधिकारी को सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से भूमिहीन दलित आदिवासियों ने मांग की है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा वर्ष 1979-80 के दौरान दलितों आदिवासियों के आर्थिक विकास हेतु जमीन तो खरीदी किन्तु बाँटी नहीं गयी। यदा कदा जहाँ भी जमीनें बॉटी भी तो कागजात में तो दलितों -आदिवासियों के नाम हैं बावजूद इसके जमीन जिस विक्रेता की थी उसी के कब्जे में आज भी है। आज भी विक्रेता ही विक्रय की गयी जमीन को जोतते बोते चले आ रहे है। सरकारी नीति के अनुसार तीस प्रतिशत महिलाओं का सशक्तीकरण के अभियान में उ०प्र० विधानसभा की 403 विधानसभा सीटों में से लगभग 120 विधानसभा सीटें महिलाओं के लिये सुरक्षित की जाय। उ०प्र० की जनसंख्या के अनुपात में दो प्रतिशत का आरक्षण आदिवासियों को दिया गया है जिसके अनुसार प्रदेश विधानसभा की सीटों में आठ सीटें जनजातियों के लिए आरक्षित किया जाना न्याय संगत होगा। प्रयागराज की अनुसूचित जाति के लिये सुरक्षित कोरांव और बारा विधानसभा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है इसलिये कोरांव और बारा की विधानसभा सीट आदिवासियों के लिये आरक्षित की जाय। उत्तर प्रदेश के समस्त आदिवासी (कोल) समाज को जिन्हें वर्तमान में अनुसूचित जाति में रखा गया है को अनुसूचित जनजाति में रखा जाये। संविधान बचाओ चेतना रैली के संयोजक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता कुमार सिद्धार्थ ने बताया कि देश की आजादी के 73 साल बीत जाने के बाद भी उ०प्र० के आदिवासियों की सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनैतिक व शैक्षणिक स्थिति दयनीय बनी हुई है तथा उनके समग्र विकास की कौन कहे प्रगति की रंचमात्र संभावना भी नजर नहीं आती है। बाबा साहब डॉ० बी० आर० अम्बेडकर ने कृषि और उद्योगों को सार्वजनिक करके सरकारी खेती और उद्योगों का सामाजीकरण करने का दबाव डालने के परिणामस्वरूप उनके परिनिर्वाण के 65 वर्षों के बाद बारा और कोरांव विधानसभा के आदिवासी समाज की दयनीय स्थिति से सभी राजनैतिक दलों सत्ता और विपक्षी पार्टियों के नेता ही नही जिले और प्रदेश के बड़े अफसर भी जानते है।
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