मंगलवार, 30 नवंबर 2021

मातादीन भंगी ने रखी थी 1857 की क्रांति की बुनियाद

असबाबे हिन्दुस्तान

प्रयागराज, निजी समाचार। दलितों को लेकर देश में अक्सर विरोधी माहौल बनते रहते हैं पर सच यह है कि चाहे सामाजिक व्यवस्था हो, आजादी की लड़ाई हो या देश की रक्षा दलितों ने हर जगह बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है उक्त बातें अल्लापुर स्थित हैजा अस्पताल में डा. अम्बेडकर वेलफेयर एसोसिएशन (दावा) और प्रबुद्ध फाउंडेशन द्वारा आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुये बसपा के जिला सचिव डा. एसपी सिद्धार्थ ने कही उन्होंने आगे कहा कि आजादी की लड़ाई के नायक के रूप में हम सभी मंगल पांडेय को जानते हैं पर वास्तविकता यह है कि इसकी पटकथा लिखी थी मातादीन भंगी नामक एक दलित ने।    बसपा नेता मौजीलाल गौतम ने बताया कि वैसे तो 1857 की क्रांति की पटकथा 31 मई को लिखी गई थी लेकिन मार्च में ही विद्रोह छिड़ गया।

दरअसल जो जाति व्यवस्था हिन्दू धर्म के लिए हमेशा अभिशाप रही उसी ने क्रांति की पहली नीव रखी। बैरकपुर छावनी कोलकत्ता से मात्र 16 किलोमीटर की दूरी पर था। फैक्ट्री में कारतूस बनाने वाले मजदूर मुसहर जाति के थे। एक दिन वहां से एक मुसहर मजदूर छावनी आया। उस मजदूर का नाम मातादीन भंगी था। मातादीन को प्यास लगी, तब उसने मंगल पांडेय नाम के सैनिक से पानी मांगा।  मंगल पांडे ने ऊंची जाति का होने के कारण उसे पानी पिलाने से इंकार कर दिया। कहा जाता है कि इस पर मातादीन भंगी बौखला गया और उसने कहा कि कैसा है तुम्हारा धर्म जो एक प्यासे को पानी पिलाने की इजाजत नहीं देता और गाय जिसे तुम लोग मां मानते हो, सूअर जिससे मुसलमान नफरत करते हैं लेकिन उसी के चमड़े से बने कारतूस को मुंह से खोलते हो। मंगल पांडेय यह सुनकर चकित रह गया। उन्होंने मातादीन को पानी पिलाया और इस बातचीत के बारे में उन्होंने बैरक के सभी लोगों को बताया। इस सच को जानकार मुसलमान भी बौखला उठे। इसके बाद मंगल पांडेय ने विद्रोह कर दिया। मंगल पांडे द्वारा लगायी गयी विद्रोह की यह चिन्गारी ने ज्वाला का रूप ले लिया। एक महीने बाद ही 10 मई सन् 1857 को मेरठ की छावनी में सैनिकों ने बगावत कर दिया। बाद में क्रांति की ज्वाला पूरे उत्तरी भारत में फैल गई। बाद में अंग्रेजों ने जो चार्जशीट बनाई उसमें पहला नाम मातादीन भंगी का था।   बैठक में जीडी गौतम, इंजीनियर आरआर गौतम, इंजीनियर माता प्रसाद, संतोष कुमार, प्रेम कुमार, सुधीर कुमार, आकाश गौतम, मनोज गौतम, पंकज हेला, रंजीत हेला, शकुन्तला, बैजन्ती, रामकली, अन्नपूर्णा आदि उपस्थित रही।

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