असबाबे हिन्दुस्तान
प्रयागराज, निजी समाचार ज्योतिबा फूले का नाम भारतीय इतिहास के प्रमुख समाज सुधारकों में गिना जाता है। 19वीं सदी में वे भारतीय समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ जीवन भर संघर्ष करते रहे। उन्होंने महिलाओं के उत्थान के लिए विशेष तौर पर कार्य किया, जिसमें महिलाओं के लिए शिक्षा से लेकर नवजात शिशुओं की हत्या रोकने के लिए अनाथाश्रम तक खोला। इतना ही नहीं उन्होंने समाज में प्रभावी बदलाव लाने के लिए सभी धर्मों और वर्गों को साथ लेकर चलने का सार्थक प्रयास किया उक्त बातें डा. अम्बेडकर वेलफेयर एसोसिएशन (दावा)), प्रबुद्ध फाउंडेशन, भारतीय बौद्ध महासभा, मिशन जय भीम आदि संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में पूरादलेल स्थित परेड ग्राउण्ड में राष्ट्रपिता जोतिबा राव फूले के 131 वें निर्वाण दिवस पर आयोजित पुण्य तिथि पर बसपा के पूर्व सेक्टर अध्यक्ष मौजीलाल गौतम ने कही। उन्होंने आगे बताया कि भारत में जातपात और सामाजिक असमानता के खिलाफ जिन लोगों ने संघर्ष किया है उनमें महात्मा ज्योतिबा फूले का नाम सबसे आगे हैं। एक सामाजिक कार्यकर्ता, विचारक, समाज सेवक और लेखक के रूप में मशहूर ज्योतिबा फूले देश में विशेषकर महाराष्ट्र में छुआछूत जैसी सामाजिक कुरीतियों को मिटाने और वंचित तबके को मजबूती प्रदान करने का काम किया था। अपने इस काम के लिए ज्योतिबा ने समाज के सभी तबकों को अपने साथ लाने में भी सफलता पाई और व्यापक तौर पर एक बदलाव लाने में सफल रहे।

बसपा के जिला सचिव डा. एसपी सिद्धार्थ ने बताया कि ज्योतिराव गोविंदराव फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे में माली जाति के परिवार में हुआ था। उनका परिवार मूलतः सतारा का था जो पुणे में आकर माली का काम करता था। उन्होंने समाज के निचले तबके को सशक्त बनाने की लड़ाई लड़ी। इसके लिए उनको स्थापित नियमों और परंपराओं के खिलाफ लड़ना पड़ा, उन्हें महिला शिक्षा के लिए ब्रिटिश शासन से भी टकराने पड़ा। इंजीनियर आरआर गौतम ने बताया कि ज्योतिबा फूले केवल समाज में जातिवाद को खत्म करने के लिए ही नहीं जाने जाते हैं। महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिये 1854 में एक स्कूल खोला जिससे वे शिक्षित होकर अपनी पहचान खुद बना सकें। लड़कियों के लिए खोला गया यह देश का पहला स्कूल था। इस स्कूल में पढ़ाने के लिए जब उन्हें कोई महिला अध्यापिका नहीं मिली तो उन्होंने अपनी पत्नी सावित्री को पढ़ाया और दूसरों को शिक्षा देने योग्य बनाया। इंजीनियर माता प्रसाद ने बताया कि ज्योतिबा को अपने कार्यों के लिए कम संघर्ष नहीं करना पड़ा।महिलाओं के उत्थान में किए गए कामों में कुछ लोगों ने उनके पिता पर दबाव बनाकर पत्नी समेत उन्हें घर से बाहर निकलवा दिया। इन सबके बावजूद ज्योतिबा ने हौसला नहीं खोया और उन्होंने लड़कियों के सबसे पहले तीन-तीन स्कूल खोला। पुण्य तिथि पर एड रामचन्द्र, एड महेश प्रसाद, एड कुमार सिद्धार्थ, भानु प्रताप, गुड्डू कोटेदार, एड आकाश गौतम, आदित्य कुमार, नवीन कुमार, दीवेन्द्र कुमार, हिमांशु जैसवार आदि उपस्थित रहे।
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