असबाबे हिन्दुस्तान
प्रयागराज अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया बख्शी बाज़ार के नौहाख्वानो ने माहे मोहर्रम मे पढ़े जाने वाले नौहों की तर्ज़ निगारी के बाद सामईन की खिदमत मे पेश करने को तीन नौहों को आज मंज़रे आम पर ला दिया।शायर ज़मीर भोपतपूरी का लिखा एक नौहा और तालिब इलाहाबादी के लिखे दो नौहों की मश्शाक़ी करते हुए आँसूओं के नज़राने के साथ लाँच कर दिया।अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया के प्रवक्ता सै०मो०अस्करी के अनुसार शायरों ने पंद्रह पंद्रह पंकतियों के अशआर मे करबला के शहीदों पर यज़ीदी सेना द्वारा ढ़ाए गए ज़ुल्म और खानदाने रिसालत की शहादत के सिलसिले को पंक्तिबद्ध करते हुए ग़मगीन नौहे लिखे जिसे शादाब ज़मन तर्ज़निगारी के साथ अन्जुमन के अन्य नौहाख्वानो अस्करी अब्बास,शबीह अब्बास जाफरी,अखलाक़ रज़ा,ज़हीर अब्बास,कामरान रिज़वी,यासिर ज़ैदी व अन्य नौहाख्वानो के बीच मश्शाक़ी करा कर मंज़रे आम पर लाए।शायर ज़मीर भोपतपुरी व तालिब इलाहाबादी के लिखे कलाम मे कहती थीं जनाज़े पे लैला अली अकबर !
हो माँ का सहारा मेरी दुनिया अली अकबर !!
वहीं दूसरा नौहा:- बोलीं यह सानिये ज़हरा!
तुझे खबर नहीं अब्बास की बहन हूँ मैं!!
तीसरा नौहा शहादते इमाम हुसैन के बाद जनाबे कुलसूम का बैन की। आया नज़र जो शहर तो कुलसूम ने कहा!
लोगों मदीना रहने के क़ाबिल नहीं रहा!!
अस्करी ने बताया की तीन नौहों के अलावा भी और कई नौहे की तय्यारी हो रही है जो दो माह और आठ दिनो तक चलने वाले माहे ग़म माहे अज़ा मे पढ़े जायंगे।कोविड के संक्रमण के बढ़ते दायरे को देखते हुए और सरकार द्वारा मुहर्रम पर अभी तक कोई गाईड लाईन नहीं जारी होने के कारण घरों व इमामबाड़ो मे ही मजलिसे होंगी।अगर शासन व प्रशासन की कोई गाईड लाईन जुलूस निकालने के मुताल्लिक़ जारी होती है तभी सड़कों पर जुलूस निकलेगा अन्यथा घरों मे ही सभी अज़ादारी के कार्यक्रम होंगे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें