शनिवार, 9 नवंबर 2019

पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब की पैदाइशे-आमद की खुशी में बडी अकीदतमंदी से मनाया जश्न ईद मिलाद उन नबी

     प्रयागराज, चकिया, चकनिरातुल,मुख्य सम्वादद़ाता दबीर अब्बास। चकिया, चकनिरातुल में सात वर्षों से जश्न ईद मिलाद उन नबी का जलसा पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब की पैदाइशे-आमद की खुशी में बडी अकीदतमंदी से   मोहम्मदी कमेटी द्वारा किया जा रहा है, जिसमें आठ नवम्बर को जलसे में चाय का लंगर का इन्तेजाम राजन गुप्ता ने किया जो भाई चारे का संदेश देता है कि हम हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई हैंं जलसे में मौलाना डा० जाबिर मिनाई लखनऊ, फूलपुरी मौलाना वकार शरीफ साहब, मौलाना साकिर रजा इलाहाबादी,  जनाब सदफ साहब इलाहाबादी,जिन्होने पैगंबर मोहम्मद साहब की शान मे  नात और तकरीर में बताया है कि , इस्लाम के अंतिम प्रवर्तक हज़रत मोहम्मद साहब का व्यक्तित्व सत्य और सद्भावना से पूर्ण था उनके कर्म भी आपसी भाईचारे और अमन चैन का पैगाम देते हैं। पैगंबर  मोहम्मद हजरत साहब धार्मिक सहिष्णुता के पक्षधर थे, लिहाजा किसी भी किस्म के फ़साद जो सामाजिक सौहार्द के ताने-बाने को बिगाड़ता हो, उसे पसंद नहीं करते थे। मोहम्मद साहब अमन और सुकून के हिमायती थे और मानते थे कि समाज की ख़ुशहाली की इमारत बंधुत्व की बुनियाद पर ही निर्मित हो सकती है। 
    कुरआन के तीसवें पारे (अध्याय ) की सूरे काफेरून की आयत में अल्लाह ने कहा है कि लकुम दीनोकुम वलेयदन यानी तुम्हें तुम्हारा मजहब मुबारक और मुझे मेरा मजहब मुबारक। हम अपने-अपने मजहबी अकीदे पर रहें। यानी अपने-अपने धर्म में श्रद्धा बनाए रखें। कुरआन की उक्त आयत को हजरत मोहम्मद ने अपने आचरण और व्यवहार में लाकर धार्मिक सहिष्णुता का प्रत्यक्ष प्रमाण प्रस्तुत किया ।




 



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन ,मरहूम जुल्फिकार अहमद जुललु खाॅ की अहिल्या खुर्शीद जुल्फिकार ने पार्टी की सदस्यता प्रदेश अध्यक्ष माननीय शौकत अली के समक्ष ग्रहण की

 असबाबे हिन्दुस्तान प्रयागराज / दबीर अब्बास इलाहाबाद ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन #AIMIM जिला/ महानगर की एक जनसभा लेबर चौराहा  60...